Thursday, July 23, 2009

कैसे कैसे लोग पुराने ......

आज याद आ रहे हैं
वे लोग जो मिले और बिछड़ गए
किन किन राहों से गुजरे हम
किन किन मोडों पर साथ मुड़े हम
फिर किन राहों पर चले साथ
और फिर यादों के साथ चले
एक एक लम्हा याद मुझे है
एक एक मुद्दा जो उठा था सफर में
आज बना है महाकाव्य सा
जिसके नायक बीते पल हैं
जिसकी नायिका प्रकृति है
तुम में मुझ में
रची बसी है
सुगंध किसी वन्य पुष्प की
जो है सबकी
धरा धन्य से आप्लावित
मनु की धरती
श्रद्धा की संतति
कैसे कैसे लोग पुराने
आज सहसा स्मृति पटल पर
आ कर रुलवाते हैं
कैसे कसी त्याग तुम्हारे
की आज हम जीते हैं।
कहो एक कहानी जो हो लम्बी सी
इस धरती से और गगन से
और मानव चेतना से भी लम्बी
चलो कहें एक कथा पुरानी
सुनी सुनायी, कही कहायी
जानी पहचानी
मेरी तुम्हारी
हम सब की एक कथा है।

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