Monday, June 20, 2011

कौन से ठिकाने

उठो जागो चलो
तीन शब्द
लम्बी कहानी.

Friday, June 17, 2011

हवा में यह कैसी सुगंध!

तुम्हारी गली से आई हवा
ले कर आई है 
तुम्हारी याद और तुम्हारी टीस
ढूंढता रहा मैं फिर भी 
बेराह में दिशाएँ 
थक गयीं आँखें
चुक गयी हिम्मत
मगर फिर भी बैठा रहा मैं 
इस इंतज़ार में
कभी तो आओगे!

Friday, June 10, 2011

मजबूरियाँ

मेरी हसरतें मेरा नाम जानती हैं
बुला कर मुझे कहती हैं
देखो तो जरा
क्या है मेरे हाथ में?
ले कर जब मैं उसका हाथ
खोलता हूँ मुट्ठी 
बहती है रेत की धार
गर्म रेत जो जलाता है हाथ
अपने आंसुओं की तरह
तोड़ कर बदन
करता है आत्म संवाद 
मैं सुनता हूँ चुप चाप
कैसी मजबूरियाँ!