Saturday, October 6, 2012

इस के बाद क्या

इस मोड़ पर
मुड़ गए रास्ते
हो गए तब्दील
सब चौराहों में
अब दिखती नहीं कोई भी मंजिल।

दूर क्षितिज पर है कोई
जैसे दुश्मन जाना पहचाना सा
मेरी सोच की धरातल पर उभरता रहा
देर तक
उबलता रहा पानी चाय के लिए
 ठंडी होती रही आशाएं।

फिसलता रहा हाथों से
जैसे हो रेत का ढेर
चुनता रहा मै
तिनके असमान से गिरे
पीला हुआ आसमान
मरती रही सांसें
जिंदा करती उम्मीदें।

सोचता रहा
एक गहरे शुन्य में
एक दिवास्वप्न
एक मरीचिका
रूमानी
भयावह
सिसकती रही मेरे आँखों में
लिए अपने आगोश में
बंद किये आँखें
बस अपने आप से लड़ता रहा।

चुप हो जाऊं
ऐसा तुमने कहा था
कोई दे रहा है दस्तक
ठहरो 
देख कर तो आऊँ
यह हवा भी न
मेरे ज़मीर को धिक्कारती है
बस और नहीं
अब बस
बंद कर दिए सारे दरवाज़े
लो हो गयी बंद दस्तक भी।














Friday, October 5, 2012

Love me Hate me


I am happy only with you
Love me hate me
My past stays with me
My future still hazy
My present
Who cares.
All the sunsets that we spent together
Have become lines on my epitaph
My life
Comes a full circle
Love me hate me, my past stays with me.
My life
My dear,
Has been
Has seen
All up and down
Been there
Did that
Seen all
And now when I look within
I find you
Love me hate me
My past stays with me.
It’s a life
Not confession
We all live
And keep lying
Eyes rolling
Bodies aching
Mind wandering
And yet we
Talked endlessly
Feeling the warmth of the winter sun
I have some in my fist still
Rub on my face
And it glows
As your face
Love me, hate me, my past stays with me.

Monday, June 18, 2012

जब तुमने कहा मुझे दोस्त

जब तुमने कहा मुझे दोस्त  तो यूँ लगा मुझे
जैसे आई है पूरब से वतन की ठंडी बयार.
मेरे हमदम मेरे दोस्त, मुझे क्यों नहीं आती नींद रातों को
क्यों मैं जगता रहता हूँ चाँद ढले तक
क्यों मेरे कश्कोलों में सैलाब नहीं लहराता
क्यों मेरे हथेलियों में पानी नहीं ठहरता
धुप आती तो है, मगर नूर नहीं बरसाती
गाढ़े रंग से लाल हुआ है आसमान
मेरे पैरों में अब वह खनक नहीं बाकी
ए मेरे दोस्त इस सर्द हवा को तो रोक लो सीने
मैंने भी तो तुम्हारे लिए आग अपने सीने पर लिया था।

यही सही

जो था
और अब नहीं है
वही है
मेरे होने का प्रमाण
जो नहीं मिला उसका तत्त्व
और जो मिला
उसका गूढ़ रहस्य .

Wednesday, April 18, 2012

मेरी सोच
तुम्हारी कहानी
एक नया फ़साना.                                                        

अनकही

किस से कहें
अपनी कहानी
जो घटी ही नहीं.

Saturday, March 31, 2012

चुप

दो लोग
एक कहानी
इतनी चुप्पी.

Friday, March 30, 2012

निर्मोही पिया

प्राचीन से अर्वाचीन तक
पूर्व से पश्चिम तक 
मेरे दोस्त मुझे रखो अपने पास
की मेरी सांसे हैं कुछ कम.
कहने तो जब हो बहुत कम
और सुनने की हो आतुरता
छोटी सी कहानी को कितना खींचिए
एक छोटे से शब्द पर कितना बोझ डालिए.
तुम वाक्य हो
मैं एक शब्द
हर कोशिश पर हार जाता हूँ
जीतने का प्रयास भी नहीं करता.
निर्मोही पिया 
तुमने कौन सा राग गया
फिर से जीने का उमंग भर आया
और तभी तुम अदृश्य हो गए.
कम गयी रौशनी
कम गयीं  उम्मीदें
सोचने को जब हो कम
क्या कीजिये कुछ भी कह कर फिर. 

Wednesday, March 28, 2012

न कहो कुछ भी

न कहिये कुछ तो कहेंगे वह कुछ ऐसे
मेरी जानिब से हवा कुछ खुश्क सी क्यों है
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एक हसीं सा ख्वाब था एक हसीं सा मंज़र भी
बदन की खुशबू भी थी और तुम्हारा साथ भी
--
अब यों भी मिला करो ज्यों हो कभी के अजनबी
मिलो तो हंस का मिलो, और लड़ो तो प्यार से लड़ो
--
नहीं कहा अपना दर्द जो दफन है सीने में
मेरे साथ ही जाएगी मेरी कुर्बते भी यारो
--
न कहो की मुहब्बत है मुझसे, मुझे डर लगता है
मुहब्बत कर के निभाने वाले अब इस जहाँ में कहाँ 






Sunday, March 4, 2012

दोस्त मेरे कुछ नए नए से

दोस्त मेरे कुछ नए नए से मजाज़ फिर भी वही पुराने से
हलक से न उतर जाये यह ज़हर आज.

किसी दोस्त का ज़ख्म है ज़रा वफ़ा से देखिये

मेरे जिस्म में अभी थोड़ी हरकत बाकी सी लगती है.

कहा तो सब मगर बहुत रह गया अनसुना  जैसा
ज़िन्दगी एक पहेली सी थी मगर काफ़िर के ऐतबार जैसा.

एक सफ़र का दरमयान है, एक उम्र का फासला है
प्यार एक कहानी है, मैंने कह दिया, तुमने सुन लिया.








चर्चा है आम यह भी


चश्मे दीदार की क्या कहिये , एक आरज़ू की देर है
मिरी आरजूओं ने कहा धीरे से कानों में, सुनो आज तो आशिक बन जाओ.

मेरे हमसफ़र मेरे पास तो आओ, कि मेरी कहानी में एक मोड़ आया है
उल्टा चलते चलते अब यह समझ आया है.

मुझे नहीं पता क्या है इन पत्तो में छुपा राज़
ज़रा दिल खोल कर बताओ तो पता चले कि क्या है हर्फ़-ए ख़त में.

कहने में जो आया वही सुनाने आया हूँ
एक हुस्न ने कहा वह दोस्त है मेरी बड़ी खास सी.

अब तो चर्चा-ए आम है यह फ़साना भी
मेरा जो यार है वह मेरा हम राही भी हो गया है.

तुम दोस्त हो यह तो बताया था तुमने
तुम्हारे बगैर अब कटेगी नहीं ज़िन्दगी, यह क्यों नहीं बताया.




Sunday, February 26, 2012

नशा कितना है

एक पुराना सा दोस्त है जो अपना सा दीखता है

मेरे आस पास ही रहता है , कानो में कुछ कहता है
देखो तो दूर से आती है सदा उसकी
मान जाओ यार , तुम्हारी याद आती है.
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कहा जब उस से उस दिन का फ़साना तो वह रो पड़ा
जब एहसास -ए दर्द इतना है तो फिर इज़हार -ए मुहब्बत इतना हल्का क्यों.
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एक रोज़ कहा था ही तुम हो बुत - ए मुहब्बत
सब बात भूली पर यह क्यों याद रही
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कहना था कुछ और , कह दिया कुछ और
देखो तो तुम्हारे होने का नशा कितना है 
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Tuesday, February 21, 2012

हर बात कहानी है


ज़िन्दगी  एक  रूखे  यार  पर  तबुस्सुम  की  कहानी  है 
कुच्छ  नयी  कहानी  है , कुछ  पुरानी कहानी  है 

 कहने  तो  क्या  है  हमारे  पास  जो  चुप  रहे 
एक  अजीब  सी  ज़िन्दगी  की  छोटी सी  कहानी  है

मेरी  किस्मत  का  देखिये  निकलते  ज़नाज़ा
एक  बात  तो  प्यारी  सी , मगर  कहानी  है

तुम  जो  तुम  हो  मगर  मेरे  में  हो  शामिल 
मेरी  तो  क्या  कहिये , हर  बात  कहानी  है

कहना  तो  चाहा हर  बात  जो  दिल  में  है 
मगर  कहने  पर  आये  तो  कहा  हर  बात  कहानी  है.

Thursday, February 16, 2012

ख्वाब टूटे से

किसी से कहिये मेरा अक्स उतारे अपने घर के शीशे में
मेरी भी तबियत कुछ अच्छी हो जाएगी .
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पूछा किसी से अपना ही पता तो क्या कहिये
उन्होंने बता दिया घबरा  कर  अपने घर का पता.
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इस तरफ से आती है उनसे  महकी हवा
छू कर देखा तो हवा कुछ गीली सी लगी.
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महकी हुई बयार का नाम क्या दीजिये
और नहीं कुछ तो तुम्हारा नाम ही दे देते हैं.
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लश्कर -ए ख्वाब मुझे छेड़ते रहते हैं
एक और हसरत अब वाकया बन गया लगता है.






Wednesday, February 8, 2012

उफ़ यह इंतज़ार...

तकते रहिये घडी और वक़्त गुजरे नहीं
इस इंतज़ार को क्या कहेंगे.
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उनका न आना भी एक रिवाज़ सा हो गया था
यह हम थे की फिर भी पुरसुकून करते जाते थे इंतज़ार.
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एक उनकी हंसी, एक उनके बदन की नमकीन खुशबू
सब याद है मुझे अपने कतरों में 
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मैंने भी सोचा थाम लूं वक़्त को
मगर खोली मुट्ठी तो पाया सिर्फ महकता रेत
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ज्यों जाड़े की कच्ची धुप और बंद आँखें
मेरी आगोश में नरम पीली धुप और तुम. 


कैसे कहूं

वह जो हमारा भी है और तुम्हारा भी
वह जो आदि भी है अनादी भी
वही जो सुन्दर भी है और सत्य भी
वही जो है भी और नहीं भी
मेरे ही होने से निकल कर
मेरे न होने का बना प्रमाण
मेरे होने न होने से अगर कुछ होता तो
न होता कुछ भी अब तक तो 
बाकी  न रहता कुछ भी
सब अशेष, कुछ रहा रहा सा
मेरे हाथों से फिसलते रेत जैसा 
सब कितना भरा भरा, कितना रीता.

Tuesday, February 7, 2012

कुछ नहीं

कुछ इस तरह से बीत रही है यह ज़िन्दगी
जैसे पलटते हैं खुली किताब के पन्ने
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हम ने देखा अपने माजी के फ़साने उड़ते हुए
सूखे हुए पत्तों का बना लिया तकिया हमने
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एक कहानी थी सुनी अपने बचपन में कभी किसी से
आज फिर रोने का जी क्यूँ कर रहा है
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कुछ हसरतें हैं जो अनबुझी प्यास की तरह मंडराती हैं आस पास
मेरे लिए नहीं सही, किसी और के लिए ही सही, मुस्कुराओ तो
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रात भर जगा रहता हूँ क्यूँ आज कल
यह कौन है जो मेरे लिए दुआएं माँगता है.

Sunday, January 29, 2012

जो भविष्य था

जो मैं था वह अब कहीं नहीं है
कड़ाके की ठण्ड में ढूंढता रहा मैं
मसलता रहा हाथ और करता रहा  कोशिश आग उगाने की
कुछ आया नहीं हाथ
बस वही खड़ा अकेला मैं अपने खालीपन को भरने का उपक्रम करता रहा
और थक गया.
फिर सोचा
क्यूँ न चल कर आगे
अपने भविष्य  में
देखें क्या होता है मेरे आज का
नीला पेड़ मुस्कुराया मेरी  सोच पर
पत्ते लगे हिलने
छोटे से एक अनजान पौधे ने तब 
कानों में धीरे से कहा
लम्बी कतार है उस काउंटर पर
तब तक तो भविष्य वर्त्तमान  हो ही जाता है.
विस्मृत इस खोज पर
ताकता आसमान को
स्तम्भ सा खड़ा वहीँ
मैं सोचता रहा 
शुन्यता का अद्भुत एहसास 
जो नहीं था मगर अब है और नहीं रहेगा
कड़ाके की ठण्ड में जो म्देती नही आगाज़ 
तपती गर्मी का
उफ्फ्फ कितनी विषमता है.



Thursday, January 5, 2012

चांदनी की राहों पर



बस एक हम है रत कि चांदनी में रौशनी थामे   
ज़रा छू कर देखो इस अंगारे  की तबस्सुम 
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कहते हैं इस राह पर जो चला वही खोया
चलो देखते हैं यह रह जाती कहाँ तक है
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एक बार तुमने कहा था मोम कि तरह क्यूँ पिघल जाते हो
मैंने जलते मोम में डाल कर हाथ जाना उसकी तासीर 
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मेरे अरमानों को छू कर देखो तो
नदी के पार साहिल के गिले रेत सा क्यूँ है
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मेरे वजूद का क्या ठिकाना, क्या पता
ढूंढता रहा, और इस मोड़ पर ठहर गया मैं 
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मैंने सोचा क्या था मुझमे जो वह छोड़ गया मुझे
पलट कर देखा तो लगा मेरा साया गायब था
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मुझे याद आती है उन गलियों के पेचीदगियां 
जिनमे घूम कर हमने सीखा था सीधे राह चलना
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