Sunday, March 4, 2012

चर्चा है आम यह भी


चश्मे दीदार की क्या कहिये , एक आरज़ू की देर है
मिरी आरजूओं ने कहा धीरे से कानों में, सुनो आज तो आशिक बन जाओ.

मेरे हमसफ़र मेरे पास तो आओ, कि मेरी कहानी में एक मोड़ आया है
उल्टा चलते चलते अब यह समझ आया है.

मुझे नहीं पता क्या है इन पत्तो में छुपा राज़
ज़रा दिल खोल कर बताओ तो पता चले कि क्या है हर्फ़-ए ख़त में.

कहने में जो आया वही सुनाने आया हूँ
एक हुस्न ने कहा वह दोस्त है मेरी बड़ी खास सी.

अब तो चर्चा-ए आम है यह फ़साना भी
मेरा जो यार है वह मेरा हम राही भी हो गया है.

तुम दोस्त हो यह तो बताया था तुमने
तुम्हारे बगैर अब कटेगी नहीं ज़िन्दगी, यह क्यों नहीं बताया.




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