मन में एक डर
ऊऊऊ ऊऊऊउ ऊऊऊऊऊ
बोलता सियार
चुप अँधेरी रात
कोई बोलता नाहीं
कुछ हिलता नहीं
बस चलती है हवा
इस बयार में बसी नयी जवानी की खुशबू
या फिर हसरतों का क़त्ल होता देखूं।
Tuesday, March 9, 2010
Monday, March 8, 2010
नीला रंग है सब
ऊँचे ऊँचे मकानों में
रहने वाले लोग कैसे नीले नीले लगते हैं
उन ऊँचाइयों पर हवा कम होती होगी शायद
और नीचे चलते लोग कैसे बौने से दीखते होंगे
अपनी कद फिर और भी लम्बी लगती होगी।
यही सब सोचता
टकरा गया मैं
सड़क पर चलते दुसरे आदमी से
पता भी नहीं चला
कब जेब कट गयी मेरी।
रहने वाले लोग कैसे नीले नीले लगते हैं
उन ऊँचाइयों पर हवा कम होती होगी शायद
और नीचे चलते लोग कैसे बौने से दीखते होंगे
अपनी कद फिर और भी लम्बी लगती होगी।
यही सब सोचता
टकरा गया मैं
सड़क पर चलते दुसरे आदमी से
पता भी नहीं चला
कब जेब कट गयी मेरी।
Sunday, March 7, 2010
Saturday, March 6, 2010
फिर वही धुंधला सा एहसास
एक आदमी ने पूछा
इस सड़क कि मौत कब हुई
औचक चाय वाले ने अपनी नाड़ी टटोली
फल वाले ने भी निकालकर अपनी ज़बान दिखाया रिक्शेवाले को
रिक्शेवाले ने बजा कर घंटी किया आश्वश्त स्वयं को।
तभी उड़ता तिनका पडा आँख में
लाल आँखों से घूरता देर तक
देखा खड़े लोगों को
ली लम्बी सांस
और फिर हिला कर दम
अपने मालिक कि लम्बी चेन को खींचता
भूंकता हुंकारता
जीवन से हो प्रसन्न
चला गया।
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