Saturday, March 6, 2010

फिर वही धुंधला सा एहसास

एक आदमी ने पूछा

इस सड़क कि मौत कब हुई

औचक चाय वाले ने अपनी नाड़ी टटोली

फल वाले ने भी निकालकर अपनी ज़बान दिखाया रिक्शेवाले को

रिक्शेवाले ने बजा कर घंटी किया आश्वश्त स्वयं को।

तभी उड़ता तिनका पडा आँख में

लाल आँखों से घूरता देर तक

देखा खड़े लोगों को

ली लम्बी सांस

और फिर हिला कर दम

अपने मालिक कि लम्बी चेन को खींचता

भूंकता हुंकारता

जीवन से हो प्रसन्न

चला गया।


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