Sunday, November 29, 2009

उनकी मजबूरी

जो प्यासे हैं
वे कुछ भी पी लेंगे
उनसे ना पूछो पानी की जाति
कभी जाड़े की धुप से उसका रंग पूछा है
तो पानी से ही क्यों?
मेरी तेरी उनकी मजबूरी
भूख और प्यास की है
पानी के रंग से अपना क्या वास्ता?

Saturday, November 28, 2009

एक लकड़ी का धुआं

सूखी एक लकड़ी
पाने को गर्मी , जला ली मैंने
कहीं से एक बन्दर भी आ गया हाथ सेंकने
और पल भर बाद
आ गए कुछ और नारेबाजी वाले
उन्होंने भी अपने जेब सेंके.

Friday, November 27, 2009

कहा तो मैंने है

एक कहानी जो तुमने लिखी
और मैंने पढ़ी
मेरा हश्र मुझे मालूम हो गया फिर भी
थाम कर तुम्हारा दामन
मैं सोचता हूँ
क्या यही सच है ?

टूटा हुआ सपना

मैं चुन रहा हूँ
सपनों से रक्तरंजित कुछ पुराने घाव
आओ तुम भी चुन लो
न जाने कब काम आ जाए तुम्हारे
मैं तो बेच रहा हूँ
सस्ते हैं ।
घाव दुःख तो देते हैं
महंगे तो होते नहीं.


Tuesday, November 24, 2009

देखो यह भी एक कहानी है

ज़रा मुड़ो तो जानो
कि पीछे कैसी खाई थी
जो तुम अनजाने में लांघ आए
आज जो भी हैं हम
अपनी न होने वाली दुर्घटनाओं की दुआ से हैं
हम है यही सबूत है
कि हम हैं.

काँटों का ताज

मेरे एक दोस्त ने कहा
सुनो तो बुलबुल की तान
सुनो तो क्या कह रहा है यह
लगता है सुंदर तान की तय्यारी कर रहा है
मैंने कहा
ऐसा नही है भाई
वह तो काँटों से लहू लुहान अपने बदन
को दिखा दिखा कर रो रहा है.

Saturday, November 21, 2009

मैं और मेरा गधा

एक रोज एक गधे के रोने की आवाज़ आई
गधा बहुत दुखी था
उसे किस ने गधे की तरह कामचोर बताया था
उसे तब मालूम हुआ था
कि वह गधा और कामचोर था.

न जाने क्यूँ

एक फूल ने झुक कर पूच्छा
क्यूँ भाई कांटे
इतना मुलायम नरम क्यों हो रहे हो?
कांटाकुछ दुविधा में पड़ कर धीरे से बोला
देखो पुलिस वाले ए थे
कह गए हैं
ज़रा नरम ही रहना
वी आयी पी मूवेमेंट है
कोई परेशानी न होए

Wednesday, November 18, 2009

लोहे की कील

लकड़ी की बनाता नाव
लिएहाथ में कुल्हाड़ी
ढूंढता रहा उचित लकडियाँ
काटता रहा कुछ से कुछ
मगर जोड़ने को मिले नही
लोहे के कील
किस से मांगूं?

एक गन्दी सी नदी

मेरे ख्यालों में
आई थी कल
एक बदबू भरी बयार
पलट कर देखा
एक संकरी सी नाली
किसी ने कहा यमुना है भाई।
माखन चोर वाली यमुना?

एक परी मेरी दोस्त है

आसमान से उतरी
स्वर्ग को भूल कर
अपने सपनों में मगन
बनी मेरी दोस्त
मैं क्या कहूं?

Monday, November 16, 2009

एक चिड़िया

एक चिड़िया
बड़ा आसमान
छोटे से पंख
बड़े अरमान
उडती रही
देर तक.

Saturday, November 14, 2009

सर्द हवा

सर्द मौसम है
दिन भर दबे रजाई में
चुस्की लें चाय की और करे गंगा में बढती गन्दगी के बारे में
सुने मेहदी हसन की वही
संजीदा सी ग़ज़ल रंजिश ही सही
और हो जायें जाड़ेकी धुप को तरसता एक दम निकम्मा।

Friday, November 13, 2009

में में में

एक बकरी मिमियाती
हदस में अधिक घास खाती
प्यास से तड़पती
बेचारी को क्या पता
कब वोह किसी के डिनर प्लेट पर सज जाए
और कीजिये आत्मा परमात्मा पर चर्चा।

इस शाम के बाद

एक सुबह ने पूछा मुझसे
कब तक सूरज ढलेगा
कब रात होगी
कब मैं सो जाऊंगा?
मैं क्या बताता
अब से थोडी ही देर में
सारा रोमांस ढल जाएगा
रात गहरी हो जायेगी
फी करना इंतज़ार सुबह की रौशनी का।

Wednesday, November 11, 2009

एक कुत्ते की यात्रा

सड़क पर एक कुत्ता दूसरे कुत्ते से बोला

कहाँ जा रहे हो

दूसरा कुत्ता चुपचाप चलता रहा

पहले ने फिर पूछा

बताओ

कहाँ जा रहे हो

कुत्ते मैं ने मुड़ कर

और बोला

धोबी का कुत्ता हूँ कहाँ जाऊंगा ?
मैं ने कुछ नही कहा
सब समझ गया।

Sunday, November 8, 2009

गाड़ी में पेट्रोल नही है तो क्या हुआ?

एक राज नेता ने पूछा
ड्राईवर गाड़ी क्यों नही चलाते
ड्राईवर बोला सर गाड़ी में पेट्रोल डालने को पैसे नही हैं सरकार के पास
नेता चोंके
ऐसा कैसे हो सकता है
कल ही तो मैंने पाँच सौ करोड़ रुपये
स्विस बैंक में जमा करवाए हैं।

कहानी एक भूत की

एक भूत था बहुत उदास
सोचता था कैसा है यह माहौल यहाँ का
हर आदमी डरावना लगता है
सीधे उसके पैर मगर उलटी उनकी चाल
हम तो मारों का खून पीते हैं
यह तो जिंदा को खा जाते हैं
इतने दिन हो गए भूत हुए हमें
अभी तक स्विस अकाउंट क्यों नही खुला हमारा?

एक परी कथा

एक जंगल में
एक परी खो गई
उसने बड़ी तलाश कर एक खुरपी निकाली
लगी खोदने और मिला उसे गडा हुआ खजाना
तब उसे मालूम हुआ
क्यूँ इन्द्र भगवान रोज तडके जंगल की सैर को जाते हैं.

सोचो तो

गाय ने पूछा बकरी से
क्यूँ तुम ही हुए जिबह हर बात पे यहाँ
बकरी ने मुह झुका कर कहा
भली गाय, तुम हिंदू हो
इस लिए कत्ल से बच गई।
गर्व से कहो हम हिंदू हैं.

Friday, November 6, 2009

भूरे साहब से एक मुलाक़ात

सरकार ने तरेर कर कहा
बोलो?
घरीब आदमी घबराया
कुछ नही हुज़ूर
बस यूँ ही
सरकार सोचते हुए से बोले
'ह्म्म्म्म'
और कलेक्टर सब से मुलाक़ात ख़तम हो गई.

कितने मोड़ और?

राहों में नही है

अब और कोई मोड़

सुना है इस सिम्त अब राहें हैं बेगानी

न हो छाँव तो धुप ही सही

मुझे कहाँ अब एहसास है अब जीने के एहसास का

एक तुम हो तो है बाकी जश्ने बहारा

एक तुम हो तो है मेरे लबों पे कुछ थिरकन

एक सूरज की रौशनी में मैं हूँ।






Thursday, November 5, 2009

बहुत दिन हुए

एक अरसा बीता है तुमसे
दो चार हुए
एक तनहा सा दिल
एक भीड़ का सा एहसास।
तालाब का पानी भी कम पड़ रहा है
मेरे अरमानो के गीले होने के लिए
सूखे पत्तों पर गिरे भी ओस की बूँदें तो क्या कीजे
समेट लीजे मेरे दर्द अपनी अंजुली में
मगर फिर भी यह याद रहे
मेरे वजूद में लगे हैं टाँके
मेरे होश को ले गया कोई चील अपने चोंच में दबा कर
चलो इन्ही ख्यालो
को दे कर परवाज़
भर कर बाँहों में एक सारा आसमान
और मुट्ठी में भरी हो आग
चलो छु कर देखते हैं इस आग की तासीर।