Tuesday, October 22, 2013

मकान खाली है!

खाली खाली  से  घर में खाली  सा  मकान है 
मेरा वजूद मुझसे हज़ार सवाल करता है 
नल में पानी का बूँद बूँद टपकना 
खोखला  करती है मेरे सोच की सारी  प्रक्रिया 
घर के हर कोने में अँधेरे का राज 
तुम्हारे जज़्बात अब दीखते नहीं 
और अब इतने पास हो नहीं की खुशबू ही आ जाये।
एक अनगढ़ कहानी, उसके उलझे पात्र 
टेढ़े मेढे  रास्ते और गिनती की साँसें 
दूर तक है नहीं कोई थामने को हाथ 
खाली से घर में 
हर ओर बिखरा हुआ वक़्त 
और उस अनछुए पल की रौशनी में 
तुम्हारे होने न होने का नमकीन सा एहसास
कभी जिन लबों पर बिखरी थी तबस्सुम 
और मेरा होना लिखा था 
अब, सब मेरा है नहीं, कुछ भी नहीं 
लिखा तो है आज भी 
यह मकान खाली है.  

Friday, October 18, 2013

है तूफ़ान तो मनाईये मौज

तूफ़ान पर मची क्यों हाय तौबा 
आंधी ही तो है, गुज़र जाएगी 
यह गरीब लोग भी बहुत चिल्लाते हैं 
अपनी तकलीफ बहुत बार सुनाते हैं 
मौसम का महकमा भी मज़े ले रहा है 
एक छोटा सा हादसा है, बस हौव्वा बना दिया है 
देखो हमारे टीवी वालों को 
कैसे रोटी चल रही है उनकी 
हम हैं पहली खबर के साथ यही ब्रेकिंग न्यूज़ बन गया है 
बाहरी मुल्कों में तो मामला गरम है 
गरीब भारत में तूफ़ान आ रहा है
यह अच्छी खबर है जो ग़मगीन हो कर सुना रहे हैं
चल रहा है खबर का रोज़गार
टीवी के लोग कम रहे हैं इश्तहार से पैसा
मगर गरीब लोग हैं की चुप ही नहीं होते
फेस बुक पर भगवन -खुदा को दुहाई दे रहे हैं
अब पैसा कमाना आया नहीं तो यू ही कोसेंगे तूफ़ान को
वरना टीवी पर दुहाई दो और मांगो तगड़ा मुआवजा
सीखो पूंजीपतियों से अपने बाप की मैय्यत से पैसे कमाना
उनकी मैय्यत दफ़नाने का भी लाइव टेलीकास्ट करवाओ और पैसे कमाओ
तूफ़ान से डरो नहीं, उसको भुनाओ
जय हो टीवी पूंजीवाद !