Friday, November 13, 2009

इस शाम के बाद

एक सुबह ने पूछा मुझसे
कब तक सूरज ढलेगा
कब रात होगी
कब मैं सो जाऊंगा?
मैं क्या बताता
अब से थोडी ही देर में
सारा रोमांस ढल जाएगा
रात गहरी हो जायेगी
फी करना इंतज़ार सुबह की रौशनी का।

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