मेरी हसरतें मेरा नाम जानती हैं
बुला कर मुझे कहती हैं
देखो तो जरा
क्या है मेरे हाथ में?
ले कर जब मैं उसका हाथ
खोलता हूँ मुट्ठी
बहती है रेत की धार
गर्म रेत जो जलाता है हाथ
अपने आंसुओं की तरह
तोड़ कर बदन
करता है आत्म संवाद
मैं सुनता हूँ चुप चाप
कैसी मजबूरियाँ!
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