Tuesday, July 21, 2009

अभी तो देर है

इतनी मुद्दत बाद तो आए हो
जरा बैठो
जरा मुस्कुराओ
कभी उसकी कभी किसकी बात करो
चलो याद करते हैं बीता जमाना
जब तुम छू लेते थे पर्वत की चोटी को
जब हम हँसते थे तो बरसते थे बादल
चलो एक बार
जरा जोर से हँसते हैं
ऐसी हँसी की हिल जायें दीवारें
और भर आयें आँखें
मेरे दीवानेपन का कोई जवाब है?

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