Wednesday, April 29, 2009

ए बुढिया!

क्यूँ कोई तुम्हे बुढिया कहता है
तुम्हारे चेहरे से तुम्हारे उम्र क्या तालुक
क्यूँ कोई तुम्हे तुम्हारे काम से नही
बल्कि तुम्हारे चेहरे पर पड़ी झुर्रियों से देखता है?
क्यों तुम्हे कोई गिराना चाहता है
क्या है तुम्हारे में कि कोई डरता है तुम से
मगर फिर सोचता हूँ
हम रंग और उम्र से आतंकित
पीढी डर पीढी
इन्ही बेवजह के सवालों से जूझते रहे हैं
और उत्तर फिर हर बार वही होता है
एक लंबी सी बेमानी चुप्पी।

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