Sunday, April 26, 2009

एक सच.

अपने आप का एक सच
मैंने हाल ही में पहचाना है
मेरे सिवा इसे कोई जानता नहीं
वैसे भी यह एक गोपनीय सच है
वैसे ही जैसे सभी सरकारी फाइलों पर अंकित होता है अति गोपनीय
मेरा यह सच भी कुछ ऐसा ही हो गया है।
मेरे हज़ार चाहने पर भी
यह सर्व विदित है
मगर फिर भी मेरे लिए ही सही
यह एक राज़ है।
चलिए आप को बता देता हूँ
क्यूँ आप उत्सुकता से हों अधीर
मैंने अपना शक्ल देखा आईने में
और डर गया था
मुझे लगा ज्यों मैंने
देख इया हो कोई अजनबी
फिर उस रात और उसके बाद कितनी रातें मैं सो नहीं पाया
मेरा अपना वजूद मुझे छोड़ गया है
मेरी अपनी पहचान खो गई है
मैं मेले में गुम किस बच्चे सा रोता
अपनों को भरी आंखों से खोजता
कोई तो बताये
कोई तो दिखाए
मेरी पहचान का पता।
यही एक सच
यही एक असत्य
आप चाहे जिसे मान ले
मुझे बहलाने को
सब चलेगा।







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