Saturday, June 6, 2009

मेरे दोस्त तुम परेशान हो क्यों

रात परेशान है तुम्हारे लिए
मगर तुम परेशान हो न जाने किसके लिए।
एक आदमी को सुना था गुस्सा बहुत आता था
उस आदमी की जान तुम में चली गई लगता है।
ना मुझे चाहिए चाँद तारे, न ढेर सारे सिक्के जवाहरात
बस एक लफ्ज़ मीठा बोलो तो क्या जाएगा किसी का।
आज लगता है बारिश बहुत जोरों से पड़ेगी
आज तो तुम भर से बैठे हो।
चलो बाँट लेते है आज का ख़राब मौसम
कुछ तुम रो लो, कुछ मैं रो लूँ, आसमान को फटने की फिर ज़रूरत नही पड़ेगी।

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