Tuesday, November 2, 2010

नयी ग़ज़ल

उस बात का न करो ज़िक्र, दर्द यहाँ होता है
तुहारी हकीकतें और मेरा सच, सब बयान होता है।
कल देर रात गए तुमने पूछा था क्या बात है
मैं कैसे बताऊँ कि हर सच के पीछे एक और सच छुपा होता है।
तुम्हारे राज तो दफन कर लिए सीने में मैंने मगर,
अपने दर्द को छुपाने में कुछ और ही मज़ा होता है।
हर शख्स के सीने में एक तूफ़ान देख रहा हूँ मैं
चलो किसी टीले कि ओट में आशियाँ तलाशते हैं।

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