Thursday, February 25, 2010

गरीबी हटाओ..

अमीरों देखो तुम्हारी गाडी के नीचे
काली रेंगती सड़क कुम्हला रही है
तुम्हारे बेरहम चक्कों ने पिस दिए हैं उसकी आत्मा
रो रो कर कह रहा है सड़क के किनारे खड़ा यह बूढा पेड़।
यह नीम है या जामुन
क्या फर्क पड़ता है
नीम हो तो लोग तोड़ लेंगे टहनियां दातुन बनाने को
गर हो jamun तो लोग करेंगे इंतज़ार उस मौसम का जब फल आएंगे
कडवापन भी बचा नहीं पाता नीम को।
सोचती रही बूढ़ी हो गयी सड़क
क्यों यह ped कहीं और नहीं जाता
क्यों किसी बदनुमे दाग कि तरह मेरी किस्मत par विराजमान रहता है
पेड़ भी सोचता रहा
कितना भला था
जब यह सड़क नहीं थी तो कितनी हरियाली थी
कितने खुश थे लोग बाग़
अब तो चलन ही बिगड़ गया है
लोगों में शर्म बाकी ही नहीं रही
बस एक मैं था जो सोचता रहा
क्या करू इस सड़क का
मुझे तो इस पेड़ कि तरह यहीं उम्र नहीं गुजारनी है
एक लंबा सफ़र है
और मैं थक रहा हूँ.


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