Wednesday, September 7, 2011

  • एक   ढली  ही   सी  शाम   को  
  • बहे   है   बयार  
  • ठंडी  , सुस्ताई  सी  
  • पूछा  मैंने  अपने  अपने आप से 
  • तो  मेरे  स्वयं  बोला 
  • बोलो 
  • क्या  है
  • क्यूँ  मैं  अजीब  सी दास्ताँ  से गुजर  रहा  हूँ 
  • क्यूँ मेरे साथ  ऐसा  होता  है
  • छत  की  मुंडेर  पर  बैठी  एक चिड़िया 
  • थोड़ी  चहकी 
  • थोड़ी फुदकी 
  • और  उड़  गई 
  • फुर्र्र्रर्र्र्रर्र्र 

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