Sunday, August 28, 2011

जो मैंने किया ....

 देखो एक चिड़िया थी 
छोटी और निरीह 
बैठी मेरे खडकी के पल्ले पर 
हिलती डुलती
चहकती फुदकती
आसमान को निगलती
मेरे तुम्हारे चाहरदीवारी में 
बंद किस्मतों पर हंसती रही. 

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