Saturday, January 9, 2010

हंस कर पूछा चुप्पी ने
क्या नाम है तुम्हारा
क्या कहती ख़ामोशी भी
झुका कर सर
मसल कर उँगलियों को
तकती रही आसमान
यही तो फितरत थी उसकी.

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