Monday, August 3, 2009

एक हसरत थी

मेरी एक उम्र गुजर गई है यह सोचते हुए
क्या मेरे सवाल का कोई जवाब है यारों।
यह तो गनीमत है
यहाँ पानी नही मिलता
वरना क्या बात है कि यहाँ डूबता नहीं है यारों।
कहने को तो यहाँ है बारिश का मौसम
मग क्या बात है कि यहाँ बदल नही आते यारों।
मेरे सवालों का यह जवाब तो नही, मगर
माना कि मेरे सवालों के पैर नहीं हैं यारों।
तुम्हारे जवाब मेरे सवाल के मानी नही बदल सकते
फिर भी इस तरह तो बात कि खाल मत उतारो यारों।
कहने को जब कुछ नही हो तो मेरे पास बैठो
क्या पता मेरे पास से गुजर जाए कहीं वक्त यारों।
हर एक लम्हे का अपना एक सफरनामा होता है
तुम जहाँ ठहरे वहीँ पर एक सफर शुरू होता है यारों।




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