kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Tuesday, November 24, 2009
देखो यह भी एक कहानी है
ज़रा मुड़ो तो जानो
कि पीछे कैसी खाई थी
जो तुम अनजाने में लांघ आए
आज जो भी हैं हम
अपनी न होने वाली दुर्घटनाओं की दुआ से हैं
हम है यही सबूत है
कि हम हैं.
1 comment:
मनोज कुमार
November 24, 2009 at 9:36 PM
इस रचना ने मन मोह लिया।
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इस रचना ने मन मोह लिया।
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