kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Tuesday, November 24, 2009
काँटों का ताज
मेरे एक दोस्त ने कहा
सुनो तो बुलबुल की तान
सुनो तो क्या कह रहा है यह
लगता है सुंदर तान की तय्यारी कर रहा है
मैंने कहा
ऐसा नही है भाई
वह तो काँटों से लहू लुहान अपने बदन
को दिखा दिखा कर रो रहा है.
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