Saturday, November 28, 2009

एक लकड़ी का धुआं

सूखी एक लकड़ी
पाने को गर्मी , जला ली मैंने
कहीं से एक बन्दर भी आ गया हाथ सेंकने
और पल भर बाद
आ गए कुछ और नारेबाजी वाले
उन्होंने भी अपने जेब सेंके.

No comments:

Post a Comment