kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Saturday, November 21, 2009
न जाने क्यूँ
एक फूल ने झुक कर पूच्छा
क्यूँ भाई कांटे
इतना मुलायम नरम क्यों हो रहे हो?
कांटाकुछ दुविधा में पड़ कर धीरे से बोला
देखो पुलिस वाले ए थे
कह गए हैं
ज़रा नरम ही रहना
वी आयी पी मूवेमेंट है
कोई परेशानी न होए
1 comment:
मनोज कुमार
November 22, 2009 at 12:03 AM
यथार्थ लेखन।
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यथार्थ लेखन।
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