kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Saturday, November 14, 2009
सर्द हवा
सर्द मौसम है
दिन भर दबे रजाई में
चुस्की लें चाय की और करे गंगा में बढती गन्दगी के बारे में
सुने मेहदी हसन की वही
संजीदा सी ग़ज़ल रंजिश ही सही
और हो जायें जाड़ेकी धुप को तरसता एक दम निकम्मा।
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