kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Friday, November 27, 2009
कहा तो मैंने है
एक कहानी जो तुमने लिखी
और मैंने पढ़ी
मेरा हश्र मुझे मालूम हो गया फिर भी
थाम कर तुम्हारा दामन
मैं सोचता हूँ
क्या यही सच है ?
1 comment:
मनोज कुमार
November 28, 2009 at 5:55 AM
बेहतरीन। बधाई।
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बेहतरीन। बधाई।
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