kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Thursday, December 24, 2009
मैंने सुना है ....
इस रात के पिछवाड़े में
एक शाम छुपी सी हंस रही है
एक सुबह का करती हुई इंतज़ार
उफ़ यह बेक़रारी
और रात की निर्दोष उम्मीद.
1 comment:
मनोज कुमार
December 25, 2009 at 7:24 AM
बहुत अच्छी रचना। क्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।
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बहुत अच्छी रचना। क्रिसमस पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई।
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