kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Saturday, December 5, 2009
एक गिलहरी
देख कर अकेला खाते मुझे
दस पाँच गिलहरियाँ भी
शेर हो गयीं
मेरे रोटी के टुकड़े मेरे हाथों से छीन ले गयीं
और मैं भयभीत सा असहाय, अपलक देखता ही रहा.
1 comment:
मनोज कुमार
December 5, 2009 at 2:27 PM
प्रतीकों का सहज एवं सफल प्रयोग किया गया है।
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प्रतीकों का सहज एवं सफल प्रयोग किया गया है।
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