खट्टे मीठे
कुछ कच्चे कुछ पक्के
बिना दांत के
चबाये कच्चा गोश्त
फटे आसमान को ताकता
एक चील
निगलने को आतुर
एक मगरमच्छ।
ऐसे में जीना
आसान है क्या?
Tuesday, December 29, 2009
Sunday, December 27, 2009
यहाँ से....
कभी सोचा था
बनेगा एक आशियाँ
कभी कि थी हरकत भी
लेकिन ठहर गया सब मंज़र वहीँ
सब वीरान
वहां से यहाँ तक।
बनेगा एक आशियाँ
कभी कि थी हरकत भी
लेकिन ठहर गया सब मंज़र वहीँ
सब वीरान
वहां से यहाँ तक।
Thursday, December 24, 2009
मैंने सुना है ....
इस रात के पिछवाड़े में
एक शाम छुपी सी हंस रही है
एक सुबह का करती हुई इंतज़ार
उफ़ यह बेक़रारी
और रात की निर्दोष उम्मीद.
एक शाम छुपी सी हंस रही है
एक सुबह का करती हुई इंतज़ार
उफ़ यह बेक़रारी
और रात की निर्दोष उम्मीद.
Wednesday, December 23, 2009
किसने कहा
आज जब मैं चुप हूँ
तो यह आवाज़ मुझे तरसा रही है
इस सन्नाटे में एक लंबी सी गूँज
कुछ कहती है
ना जाने क्या
सुनूं तो
किसने कहा.
तो यह आवाज़ मुझे तरसा रही है
इस सन्नाटे में एक लंबी सी गूँज
कुछ कहती है
ना जाने क्या
सुनूं तो
किसने कहा.
Wednesday, December 16, 2009
एक कविता ऐसी भी
शुन्य की तलाश में
अंक जोड़ता रहा हूँ मैं
जैसे तकते हुए आसमान
मैं धरती नापता रहा।
उफ़ यह नादानी।
अंक जोड़ता रहा हूँ मैं
जैसे तकते हुए आसमान
मैं धरती नापता रहा।
उफ़ यह नादानी।
Tuesday, December 15, 2009
एक नुस्खा यह भी
चूभाओ सुई तो निकलेगा खून
मेरे अतीत की परछाईयाँ
मेरे वजूद से खून बनकर
निकले और बोले
सुनो, कौन हूँ मैं?
मेरे अतीत की परछाईयाँ
मेरे वजूद से खून बनकर
निकले और बोले
सुनो, कौन हूँ मैं?
Monday, December 14, 2009
फूल और कांटे
चुभे कांटे तो पता लगा
फूलों का अस्तित्व भी
लगी चोट तो हुआ यह एहसास भी
चलो ज़िंदा हैं हम अभी।
आओ हरा करें चोटों को
कि बाकी रहे
यह एहसास -ऐ कमतरी
और हम साँस लेने कि
साज़िश करते रहें.
फूलों का अस्तित्व भी
लगी चोट तो हुआ यह एहसास भी
चलो ज़िंदा हैं हम अभी।
आओ हरा करें चोटों को
कि बाकी रहे
यह एहसास -ऐ कमतरी
और हम साँस लेने कि
साज़िश करते रहें.
Friday, December 11, 2009
सिल दो मेरे होंठ
तुम्हे शिकायत है कि मैं बोलता बहुत हूँ
मुझे ज़माने की चुप्पी से परेशानी है
तुम्हे चाहिए एक पुरा इलाका
मेरे लिए तो एक गज भी बहुत है
चलो बाँट लेते हैं अपनी तमन्नाएँ
कुछ तुम ले जाओ अपने दामन में समेटे
कुछ दफना देता हूँ कि कोई पेड़ उग आए। ।
मुझे ज़माने की चुप्पी से परेशानी है
तुम्हे चाहिए एक पुरा इलाका
मेरे लिए तो एक गज भी बहुत है
चलो बाँट लेते हैं अपनी तमन्नाएँ
कुछ तुम ले जाओ अपने दामन में समेटे
कुछ दफना देता हूँ कि कोई पेड़ उग आए। ।
Thursday, December 10, 2009
फटे पाँव
देखो अपने फटे पाँव
जिन पर पड़े हैं पत्थरों के निशाँ
देखो तो खून हे धब्बे भी हैं वहां
पैरों पर थकान की कहानियाँ
मेरे अतीत को मेरे आज से जोडती हैं
उनके हुस्न को मेरा सलाम।
जिन पर पड़े हैं पत्थरों के निशाँ
देखो तो खून हे धब्बे भी हैं वहां
पैरों पर थकान की कहानियाँ
मेरे अतीत को मेरे आज से जोडती हैं
उनके हुस्न को मेरा सलाम।
Wednesday, December 9, 2009
लोहा और मोम
लोहा और मोम
कितने समान कितने अलग
एक पिघल कर काम आए
दूजा काम आए तो पिघले
एक दुविधा
किस की तरह बनूँ?
कितने समान कितने अलग
एक पिघल कर काम आए
दूजा काम आए तो पिघले
एक दुविधा
किस की तरह बनूँ?
Tuesday, December 8, 2009
हद है!
उसने चौंक कर कहा
मेरी आवाज़ क्यों गूंजती है
उस गूंजती आवाज़ ने हंस कर कहा
देखो तुम्हारी अस्मिता हूँ मैं
पकड़ो मेरा हाथ
देखो तो कितनी ठण्ड है यहाँ.
मेरी आवाज़ क्यों गूंजती है
उस गूंजती आवाज़ ने हंस कर कहा
देखो तुम्हारी अस्मिता हूँ मैं
पकड़ो मेरा हाथ
देखो तो कितनी ठण्ड है यहाँ.
Sunday, December 6, 2009
सुनो
जो तुमने कहा
मैंने सुना
अब तुम सुनो
एक अधूरी कहानी
एक अनसुनी दास्तान
मेरे पास तो यही है
कहाँ से लाऊँ तकमील- ऐ-फ़साना?
मैंने सुना
अब तुम सुनो
एक अधूरी कहानी
एक अनसुनी दास्तान
मेरे पास तो यही है
कहाँ से लाऊँ तकमील- ऐ-फ़साना?
Saturday, December 5, 2009
एक गिलहरी
देख कर अकेला खाते मुझे
दस पाँच गिलहरियाँ भी
शेर हो गयीं
मेरे रोटी के टुकड़े मेरे हाथों से छीन ले गयीं
और मैं भयभीत सा असहाय, अपलक देखता ही रहा.
दस पाँच गिलहरियाँ भी
शेर हो गयीं
मेरे रोटी के टुकड़े मेरे हाथों से छीन ले गयीं
और मैं भयभीत सा असहाय, अपलक देखता ही रहा.
Friday, December 4, 2009
ऐ बेफिक्र मन
ऐ मेरे बेफिक्र मन
जरा थम कर सुनो
मेरी कहानी
उसकी ज़ुबानी
फिर कहना
रोये की नही।
मैं तो हंसता रहा
वोह तो रोते रहे
अपनी अपनी किस्मत
अपनी अपनी हदें
कहाँ तक दिखाएँ
आपको अपने ज़ख्म।
चलो बाँट लेते हैं
कुछ अपनी दुआएं
कुछ तुम ले जाओ
कुछ हम साथ लायें।
जरा थम कर सुनो
मेरी कहानी
उसकी ज़ुबानी
फिर कहना
रोये की नही।
मैं तो हंसता रहा
वोह तो रोते रहे
अपनी अपनी किस्मत
अपनी अपनी हदें
कहाँ तक दिखाएँ
आपको अपने ज़ख्म।
चलो बाँट लेते हैं
कुछ अपनी दुआएं
कुछ तुम ले जाओ
कुछ हम साथ लायें।
Thursday, December 3, 2009
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