kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Sunday, January 24, 2010
सपने
मैंने भी सात रंग के सपने देखने चाहे थे
मगर आँख थी कि सोयी नहीं
रंग थे कि दिखे दिखने नहीं
हाथ थे कि हिले नहीं
ख्वाब सब काले से।
उठ कर बैठ गया मैं
लग कर हाथ गिर गयी
पास रखी गर्म चाय भी.
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