kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Tuesday, January 12, 2010
यूँ ही
एक पल
बस यूँ ही
ऐसा लगा
तुम पास हो कहीं
छु कर देखा तो
हरी घास पर नर्म ओस की बूँदें थी
तुम्हारा कही पता नहीं।
देखा उठा कर नज़रें
तो काला आकाश
और भी काले बदल
हाथ को हाथ नहीं दिखाई देता
सोचा शायद इसी लिए तुम दिखाई नहीं देती।
ली एक लम्बी सांस.
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