kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Tuesday, March 9, 2010
कैसी कविता
मन में एक डर
ऊऊऊ ऊऊऊउ ऊऊऊऊऊ
बोलता सियार
चुप अँधेरी रात
कोई बोलता नाहीं
कुछ हिलता नहीं
बस चलती है हवा
इस बयार में बसी नयी जवानी की खुशबू
या फिर हसरतों का क़त्ल होता देखूं।
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