kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Saturday, April 17, 2010
इस पेड़ की छाँव में
बसे हुई बस्ती में
उजड़े हुए कुछ घर
बीती हुई यादों के सहारे जीते कुछ लोग
अपने आप से करते बेमानी से सवाल
इन्ही कुछ घरों में
छिपी कुछ कहानियाँ
मेरे किसा गोई का कोई क्या करे।
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