kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Sunday, March 7, 2010
स्वाद
मेरी ज़बान पर रखे
नमक का कोई स्वाद ही नहीं
इतना पीया आंसू कि अब
नमकीन स्वाद ही मिट गया लगता है।
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