देखो तो इस प्यारी सी लड़की के चेहरे पर
एक तिलस्मी मुस्कान है
जैसे जाड़े की सुबह में सुबकती हुई धुप
जैसे गर्मी पहली बारिश की सोंधी सी महक
जैसे उसके कंधो पर पड़ा पीला दुपट्टा
प्यार तो हुआ ही है।
मैंने पूछा तो बोली
प्यार कैसे होता है
अब इस सादगी पर जान कैसे न दें
कैसे बताऊँ की प्यार इस अनछुई अनजानी सी ख्याल का नाम है
तुम्हारे हाथ को छु कर देखा
फिर डर लगा
कहीं मुझे प्यार न हो जाये !
बहुत सही!
ReplyDelete