ऐ दोस्त मुनासिब नहीं है इस सफ़र से मुकर जाना
इस सफ़र की किस्मत में है हमारा गुज़र जाना।
जो बीते हैं दिन तुम्हारे साथ वह याद आयेंगे
ऐ दोस्त मुनासिब नहीं था यूँ वादे से मुकर जाना।
इस साल अमराई में कौन गायेगा कोयल की आवाज़ में
अच्छा नहीं है लोगों कि आदतों से बिफर जाना।
चलो अच्छा हुआ कि तुम ही बदल गए वक़्त के साथ
वरना क्या ज़वाब देता मैं तुम्हारा इस तरह वादों से पलट जाना।
बहुत इंतज़ार किया है अब इंतकाल-ए सफ़र है
आखिरी वक़्त में याद आएगा तुम्हारा ख्वाबों से चले जाना।
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