ज़िन्दगी तुम्हे छुआ है मैंने
मेरी चाहतों का काफिला है यह
न कहो तो भी मैं मान लूँगा कि
मेरी मेरे आंसू का सील सिलसिला है यह.
जिन गलियों से गुजरे वही बिसर गयी यादों से
जैसे पसर गयी सुबह कि धुप शाम तक
थाम कर दामन जो चाहा था चलना
भूल गयी राहें, खो गयी मंज़िलें।
आओ कि अब मौसम भी हसीं है
आओ कि अब ख्यालों में रवानी बाकी है
मेरा वजूद मुझसे पूछता है हौले से
अच्छा बताना तुम्हारा महबूब-ए सफ़र
अब भी महबूब -ए ख्याल है क्या !
वक़्त के गुजरने से सफ़र का क्या ताल्लुक
मेरे जहन में अब भी वही खुश्बू बाकी है
एक सफ़र है गलियों और मोड़ों से भरी
कुछ तुमसे हरी, कुछ मुझ से भरी।
मेरी चाहतों का काफिला है यह
न कहो तो भी मैं मान लूँगा कि
मेरी मेरे आंसू का सील सिलसिला है यह.
जिन गलियों से गुजरे वही बिसर गयी यादों से
जैसे पसर गयी सुबह कि धुप शाम तक
थाम कर दामन जो चाहा था चलना
भूल गयी राहें, खो गयी मंज़िलें।
आओ कि अब मौसम भी हसीं है
आओ कि अब ख्यालों में रवानी बाकी है
मेरा वजूद मुझसे पूछता है हौले से
अच्छा बताना तुम्हारा महबूब-ए सफ़र
अब भी महबूब -ए ख्याल है क्या !
वक़्त के गुजरने से सफ़र का क्या ताल्लुक
मेरे जहन में अब भी वही खुश्बू बाकी है
एक सफ़र है गलियों और मोड़ों से भरी
कुछ तुमसे हरी, कुछ मुझ से भरी।
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