kavita-akavita
ek afsaana sunaa sunaa saa
Sunday, August 28, 2011
जो मैंने किया ....
देखो एक चिड़िया थी
छोटी और निरीह
बैठी मेरे खडकी के पल्ले पर
हिलती डुलती
चहकती फुदकती
आसमान को निगलती
मेरे तुम्हारे चाहरदीवारी में
बंद किस्मतों पर हंसती रही.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment