- एक ढली ही सी शाम को
- बहे है बयार
- ठंडी , सुस्ताई सी
- पूछा मैंने अपने अपने आप से
- तो मेरे स्वयं बोला
- बोलो
- क्या है
- क्यूँ मैं अजीब सी दास्ताँ से गुजर रहा हूँ
- क्यूँ मेरे साथ ऐसा होता है
- छत की मुंडेर पर बैठी एक चिड़िया
- थोड़ी चहकी
- थोड़ी फुदकी
- और उड़ गई
- फुर्र्र्रर्र्र्रर्र्र
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