मेरे क़दमों को देखते चलो
उस राह का आगाज़ देती है
जिस पर और भी चले थे
मगर उन्हें अब याद नहीं
अगर इस राह का कोई होता अपना वजूद
तो समझ लो
वह भी
मेरी ही तरह मुझ से कतरा कर चलता और
मैं
अपनी याद का डब्बा लिए
चल दिया उस दिशा में
जहाँ दिखा था धुआं उस दिन।
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