किसी से कहिये मेरा अक्स उतारे अपने घर के शीशे में
मेरी भी तबियत कुछ अच्छी हो जाएगी .
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पूछा किसी से अपना ही पता तो क्या कहिये
उन्होंने बता दिया घबरा कर अपने घर का पता.
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इस तरफ से आती है उनसे महकी हवा
छू कर देखा तो हवा कुछ गीली सी लगी.
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महकी हुई बयार का नाम क्या दीजिये
और नहीं कुछ तो तुम्हारा नाम ही दे देते हैं.
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लश्कर -ए ख्वाब मुझे छेड़ते रहते हैं
एक और हसरत अब वाकया बन गया लगता है.
मेरी भी तबियत कुछ अच्छी हो जाएगी .
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पूछा किसी से अपना ही पता तो क्या कहिये
उन्होंने बता दिया घबरा कर अपने घर का पता.
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इस तरफ से आती है उनसे महकी हवा
छू कर देखा तो हवा कुछ गीली सी लगी.
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महकी हुई बयार का नाम क्या दीजिये
और नहीं कुछ तो तुम्हारा नाम ही दे देते हैं.
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लश्कर -ए ख्वाब मुझे छेड़ते रहते हैं
एक और हसरत अब वाकया बन गया लगता है.
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