Sunday, December 19, 2010

एक इम्तिहान और भी है!

देखो ज़रा मुड़ कर इस तरफ और बोलो
मेरा बचपन मेरे वजूद से जुड़ गया गया है जैसे
थाम कर दामन मेरा, कहता है मुझसे
मैं कल था तुम्हारा
और वह जो गुज़र रहा है तुम्हारे साथ।
सब बातें , सारे फ़साने, और गुजरे हुए वह कुछ पल
किनको मैं बताऊँ अपने साथ हुए हादसों के बारे में
जो मेरा था कहीं रह गया इन्ही मुंडेरों पर
जैसे लटका रहता है चम्गादर
डराता रहता।
और मैं फिर भी नहीं छोड़ता
दामन अपने माजी का
रोता रहा देर तक
थाम कर हाथ उसका
गीले हूआ मेरे आंसू से उसका मन भी।

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