दिल भी चाहे कितने रंग
और हर रंग कि अपनी मांग
हर कदम पर लगी है उमीदों कि लम्बी कतार
एक को पूछो तो दूसरा हो हाज़िर
किस किस कि करें फरमाईश पूरी?
ज़िन्दगी है एक लम्बा छोटा सफ़र
काटो तो कटे नहीं, जियो तो बस इंतहा
थाम कर दमन अगर चाहो चलना
तो छूट जाएँ राहें
पतली संकरी पगडंडियों पर
दौड़ते रहे हम जिन पर
आज कदम रखना भी मुश्किल
फिर थामने को किसी का दमन भी तो नहीं।
उफ़ इन लम्बी राहों का सफ़र छोटा होता क्यों नहीं
या फिर यह सुस्त कदम उड़ते क्यों नहीं!
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